प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना*
*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना*
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*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना।*
*कि हलवा पूरी गटक सकूं*
*और चबा सकूं मैं चना चबैना।।*
*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना।*
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*मेरे तन की शुगर ना बढ़े,*
*रहे मिठास जुबाँ की कायम*।
*तन का लोहा ठीक रहे*
*और मन में लोहा लेने का दम*।।
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*चलूँ हमेशा ही मैं सीधा,*
*मेरी कमर नहीं झुक जाए*।
*यारों के संग, हंसी ठिठौली,*
*मिलना जुलना ना रुक जाए,*
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*जियूं मस्त मौला बन कर मैं,*
*काटूँ अपने दिन और रैना*
*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना*।
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*भले आँख पर चश्मा हो*
*पर टी वी, अखबार पढ़ सकूं।*
*पास हों या फिर दूर रहें*
*मित्रों से मैं बात कर सकूँ*।।
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*चाट पकोड़ी, पानी पूरी,*
*खा पाऊं, लेकर चटखारे*
*बीमारी और कमजोरी,*
*फटक न पाएं पास हमारे*
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*सावन सूखा, हरा न भादों* ,
*रहे हमेशा मन में चैना*
*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना*।
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*मेरे जीवन की शैली पर ,*
*नहीं कोई प्रतिबंध लगाए।*
*जीवन-साथी साथ रहे*
*संग संग हम दोनों मुस्काएं।।*
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*नहीं आत्म सम्मान से कभी,*
*करना पड़े हमें समझौता।*
*बाकी तो जो, लिखा भाग्य में,*
*जो होना है, वो ही होता ।।*
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*करनी ऐसी करूँ, गर्व से* ,
*मिला सकूं मैं सबसे नैना।*
*प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना।*
*यही है ईश्वर से प्रार्थना।*
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*जोरसे बोलो------राधेराधे।*
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